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Mere Dost

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Wednesday, December 25, 2013
सुबह होगी, काली तो बस रात है
वक़्त बदलेगा ये, वक़्त की बात है

मुझे क्या गम, कोई मिले या बिछड़े
जब यक़ीन है, खुदा सदा मेरे साथ है

मैं क्यूँ बहाऊं आँसू, क्यूँ रहूं ग़म ज़दा
न रही बाक़ी अब कुछ, ना एहसास, ना जज़्बात है

क़त्ल एक ने किया, सभी छुप गये घरों मे
मेरे क़त्ल मे शामिल, यहाँ सभी हाथ है

सुबह होगी, काली तो बस रात है
वक़्त बदलेगा ये, वक़्त की बात है

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